Thursday, December 11, 2008

अरबों स्र्पए का चुनाव

विधानसभा चुनाव में अरबों स्र्पए स्वाहा हो गए। राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव प्रचार पर ही लगभग एक अरब स्र्पए उड़ा दिया है। वहीं, निष्पक्ष चुनाव कराने की जद्दोजहद में लगे निर्वाचन आयोग भी खर्च में पीछे नहीं है। हेलिकाप्टर पर चले नेता- चुनाव प्रचार के लिए दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने करीब 10 हेलिकॉप्टरों का उपयोग किया। लगभग 15 दिनों तक सभी हेलिकॉप्टर न केवल यहॉं के आसमान पर छाए रहे, बल्कि उनकी लैडिंग भी यहीं होती रही। हेलिकॉप्टरों को सभा स्थलों पर उतारने के लिए लैडिंग चार्ज तो लगा ही माना विमानतल पर उन्हें खड़ा रखने के लिए भी मोटी रकम खर्च करनी पड़ी है। उड़ान पर निकल गए लाखों- हेलिकॉप्टर की क्षमता और इंजन के आधार पर किराया 80 हजार से एक लाख स्र्पए प्रति घंटा भुगतान कराना पड़ा। हेलिकॉप्टर किराया पर उपलब्ध कराने वाली कंपनियॉं एक दिन में कम से कम तीन घंटे की उड़ान की शर्त के साथ सेवाऍं देती हैं। चुनाव प्रचार के लिए नेताओं नेधॅुंआधार उड़ान भरे। एक-एक हेलिकॉप्टर को औसतन तीन से पॉंच घंटे तक उड़ना पड़ा। इस तरह 15 दिनों तक चले चुनाव प्रचार में सभी हेलिकॉप्टरों ने करीब एक हजार घंटे उड़ान भरा। इसका किराया एक लाख स्र्पए प्रति घंटा के हिसाब से यह आंकड़ा करीब 10 करोड़ स्र्पए होता है। बैनर-पोस्टर पर अरबों - प्रदेश्र की 90 विधानसभा सीट के लिए एक हजार 66 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इनमें से 180 प्रत्याशी दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों से हैं, चुनाव आयोग के आदेशानुसार उनके लिए प्रचार में निर्धारित सीमा 25 लाख स्र्पए थी। शेष बचे 886 प्रत्याशियों द्वारा औसतन 10 से 12 लाख स्र्पए खर्च करने की जानकारी है। इसमें प्रत्याशियों द्वारा किए गए ऑन रिकॉर्ड खर्च जिसमें पम्पलेट, बैनर-पोस्टर, वाहन तथा अन्य व्यय शामिल हैं। सभी प्रत्याशियों ने कुल लगभग एक अरब स्र्पए चुनाव प्रचार पर ऑन रिकार्ड खर्च किया है।वेतन भत्ता 37 करोड़ - प्रदेश में चुनाव कराने के लिए निर्वाचन कार्यालय को बजट में 37 करोड़ स्र्पए दिए गए। इसमें मतदाता सूची के लिए तीन करोड़ स्र्पए भी शामिल है। इसके अतिरिक्त अधिकारियों-कर्मचारियों का वेतन भत्ता तथा कार्यालय व्यय आदि भी शामिल है। मतदान मंे लगे कर्मचारियों को मानदेय इसी मद से दिया जाएगा। अफसर भी उड़े हेलिकॉप्टर पर- चुनाव के लिए आयोग ने करीब 10 हेलिकॉप्टर किराए पर लिया था। इनका उपयोग मतदान दलों और सुरक्षाबलों और पर्यवेक्षकों को लाने-ले में किया गया। विभागीय सूत्रों के अनुसार आयोग द्वारा किराए पर लिए गए सभी हेलिकॉप्टर एयरफोर्स के हैं। उनका किराया व अन्य व्यय गृह मंत्रालय तय करता है। आयोग को अभी बिल नहीं मिला है, लेकिन करीब 10 से 12 करोड़ स्र्पए खर्च होने का अनुमान है। आवभगत पर मोटी रकम - आचार संहिता की घोषणा के बाद से अभी तक दिल्ली से मुख्य चुनाव आयोग कार्यालय से अफसरों का आना-जाना लगा हुआ है। इसके साथ ही पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी संभालने के लिए विभिन्न् राज्यों के तीन दर्जन से अधिक अफसर यहॉं आए हुए हैं। इनमें कई सचिव स्तर के आईएएस अफसर भी हैं। स्टेट्स के हिसाब से अफसरों के होटल व रेेस्ट हाउस में स्र्कने की व्यवस्था की गई। इस पर करीब चार से पॉंच लाख स्र्पए खर्च होने का अनुमान है। जल गया लाखों का ईंधन - अधिग्रहित वाहनों सहित चुनाव प्रचार में लगे वाहनों में लगभग 80 से 90 लाख स्र्पए का ईंधन जल गया। अकेले राजधानी के पुलिस पेट्रोल पंप से 50 लाख स्र्पए का डीजल और पेट्रोल दिया गया है। अलग-अलग जिलों में चुनाव कार्य में लगे वाहनों का ईंधन इसके अतिरिक्त है। वाहन किराया आठ करोड़ - चुनाव के दौरान मतदान दलों, सुरक्षाबलों तथा अफसरों के लिए करीब आठ हजार बड़ी-छोटी गाड़ियॉं अधिग्रहित की गई थीं। इसमें किराए पर लिए गए लक्जरी वाहन भी शामिल हैं। इन सभी वाहनों को आयोग की तरफ से निर्धारित दर पर किराया भुगतान किया जाएगा। इसका बजट लगभग आठ करोड़ स्र्पए तक होे सकता है। सुरक्षाबलों की आवाजाही लाखों का - चुनाव के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद रखने के लिए अर्द्ध सैनिक बलों की करीब 450 कंपनियॉं यहॉं बुलाई गई थी। अलग-अलग राज्यों और केन्द्र से पहुॅंचे सुरक्षाबलों पर करीब 12 लाख स्र्पए खर्च हुआ है। इसमें सुरक्षाबलों के एवज में दिया जाने वाला भुगतान सहित अन्य व्यय शामिल है।