Thursday, September 10, 2009

मैं हवा हू

मैं हवा हू, जो स्र्कता नहीं, कभी थमता नहीं,
किसी एक का होता नहीं,
अपनी ही मस्ती में, मस्त हो चल देता हू,
राह में मिले जो भी चुपके से उसे छेड़ देता हू,
फिर चल देता हू,
मैं हवा हू, जो स्र्कता नहीं, कभी थमता नहीं,
खुशबू के साथ मिल महका देता हू चमन को,
गर्म हो मौसम कितना भी पल में ठंडक ला देता हू,
मुझे छूओं मत महसूस करो...
मैं हवा हू, जो स्र्कता नहीं
न रोको मुझे दीवारों से, न बांधों मुझे बंधनों में,
स्र्कना, बंधना मेरी फितरत नहीं,
इसलिए तो पागल आवारा कहलाता हू,
मेरे पास आने की कोशिश भी न करना,
वरना विलिन हो जाओगे अकाश में,
उस आकाश में जो झूकता तो है पर गिरता नहीं,
आभास होकर भी धरती से कहीं मिलता नहीं,
मैं हवा हू, जो स्र्कता नहीं, कभी थमता नहीं

Sunday, May 3, 2009

सेवा में मेवा

जनता के सामने हाथ जोड़कर एक-एक वोट की भीख मॉंग रहे, नेता सांसद बनते ही लखपति हो जाएंगे। चुनाव जीतते ही उन्हें मोटी पगार के साथ अन्य सुविधाऍं मिलने लगती हैं। इतना ही नहीं एक बार सांसद बनने मात्र से जीवनभर के आय का एक अच्छा साधन बन जाता है। सांसदों को हर महीने 16 हजार स्र्पए वेतन मिलता है। इसके साथ ही संसदीय क्षेत्र में खर्च करने के लिए उन्हें महीनें में 20 हजार स्र्पए मिलता है। टेलीफोन और मोबाइल की मुफ्त सेवा के साथ महज 150 स्र्पए की मासिक भुगतान कर देश के बड़े-बड़े अस्पतालों में इलाज कराने की सुविधा भी मिल जाती है। सांसदों को हर माह सोलह हजार रुपये वेतन मिलता है। सदन का कोई सत्र अथवा संसद की किसी समिति की कोई बैठक में शामिल होने के लिए एक हजार स्र्पए दैनिक भत्ता दिया जाता है। प्रत्येक संसद सदस्य 20,000 रुपये प्रति माह की दर से कार्यालय-व्यय भत्ता मिलता है जिसमें से चार हजार रुपये लेखन सामग्री मदों पर होने वाले व्यय, दो हजार रुपये पत्रों की फ्रैंकिंग पर होने वाले व्यय शामिल है।सांसदों को दिल्ली में सरकारी आवास उपलब्ध कराया जाता है। आवासों का आवंटन लोक सभा की आवास समिति की आवास उप समिति द्वारा किया जाता है। यदि किसी सांसद को उसके अनुरोध पर आवास के रूप में बंगला का आबंटन किया जाता है तो वह संपूर्ण सामान्य लाइसेंस शुल्क का भुगतान करना पड़ता है। प्रत्येक सदस्य के दिल्ली में आबंटित आवास पर पहली हर वर्ष 1 जनवरी से चार हजार किली पानी तथा 50,000 यूनिट तक बिजली (25000 यूनिट लाइट मीटर पर तथा 25,000 यूनिट पावर मीटर पर अथवा दोनों को मिलकार) नि:शुल्क दिया जाता है। यह सुविधा दिल्ली में निजी आवास में रहने वाले सदस्य को भी दी जाती हैं।यात्रा भत्ता व सुविधाएंसभी सांसदों को वातानुकूलित प्रथम श्रेणी अथवा एक्जिक्यूटिव श्रेणी का एक नि:शुल्क अहस्तांतरणीय रेल पास जारी किया जाता है, जिससे वे भारत में किसी भी ट्रेन से किसी भी समय यात्रा कर सकते हैं। सहचर के लिए द्वितीय श्रेणी का एक पास भी दिया जाता है। हाई यात्रा की स्थिति में यात्रा के लिए वायुयान के टिकट का किराया दिया जाता है। सड़क मार्ग से यात्रा की स्थिति में 13 स्र्पए प्रति किलोमीटर के हिसाब से भत्ता दिया जाता है। इसके अतिरिक्त सांसदों को सत्र/अंतरसत्रावधि के दौरान पति या पत्नी अथवा कितनी ही संख्या में अपने सहचरों या संबंधियों के साथ एक वर्ष में 34 हवाई यात्राएं करने की सुविधा प्रदान की गई है। पति, पत्नी को सुविधाऍं सांसद के गृह निवास स्थान से दिल्ली तक आने जाने के लिए प्रत्येक सत्र के दौरान एक बार तथा बजट सत्र के दौरान दो बार लेकिन एक वर्ष में 8 बार नि:शुल्क वातानुकूलित प्रथम श्रेणी अथवा एक्जिक्यूटिव श्रेणी में किसी ट्रेन यात्रा। वायुमार्ग द्वारा की जाती है तो विमान किराए के बराबर धनराशि। सोफा कवर और पर्दे की हर तीन महीने में धुलाई, टिकाऊ फर्नीचर के संबंध में 60,000 रुपये मूल्य तक और गैर-टिकाऊ फर्नीचर के संबंध में 15000 रुपये मूल्य तक की विद्यमान वित्तीय सीमा के भीतर फर्नीचर और इसमें किए गए किसी सुधार या परिवर्धन या फर्नीचर, विद्युत उपकरण और अन्य सेवाओं के रूप में दी गई कोई अतिरिक्त सेवा के कारण किराए में 25 प्रतिशत की छूट शामिल है। वाहन खरीदने की सुविधा सांसद को इच्छित वाहन क्रय करने के लिए एक लाख रुपये या वाहन का वास्तविक मूल्य,जो भी कम हो, बतौर अग्रिम दिया जाता है। इसकी वसूली 11.5 प्रतिशत ब्याज दर से की जाती है।

Friday, April 10, 2009

लोगों को जगाने आग पर चल रहे डीजीपी विश्वरंजन

छत्तीसगढ़ पुलिस ने अंधविश्वास को दूर करने के लिए मुहिम शुरू किया है। अभियान को सफल बनाने के लिए पुलिस 20 हजार स्व्यं सेवकों की फौज तैयार कर रही है, जो प्रदेश के कोने-कोने में जाकर लोगों को जागृत करेंगे। फिहलहाल इन स्वयं सेवकों के प्रशिक्षण का दौर चल रही है। लंबी छुट्टी पर होने के बावजूद डीजीपी विश्वरंजन खुद इसकी कामन संभाल रहे। अंधविश्वास के खिलाफ समाज को खड़ा करने वे खुद नंगे पैर आग पर चल रहे हैं। सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में उन्होंने रायगढ़ में यह कारनामा किया। छत्तीसगढ़ में महिलाओं पर टोनही (डायन) का आरोप लगाकर उसे प्रताड़ित करने की सैकड़ों घटनाऍं हो चुकी हैं। सरकार द्वारा इसके खिलाफ कानून बनाए जाने के बावजूद महिलाओं महिलाओं को प्रताड़ित करने वाले समाज के ठेकेदारों पर कोई असर नहीं पड़ा। इसे देखते हुए डीजीपी विश्वरंजन ने जनजागरण की मुहिम शुरू की है। राजय पुलिस ने वर्ष 2009 में टोनही प्रकरणों की दर को शून्य पर स्थिर करने तथा अंधविश्वास आधारित अपराधों के नियंत्रण के लिए विशेष अभियान प्रारंभ किया है। इसके लिए पूरे राज्य में टास्क फोर्स का गठन किया जा रहा है। इसी के तहत रायगढ़ में कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें दो सौ से अधिक महिलाओं ने भी जादू-टोने के ट्रिक्स सीखे। दहकते अंगारे पर चलने के ट्रिक्स को करने में झिझक रहे थे। इसकी वजह से डीजीपी को खुद आगे आना पड़ा। उनके आग पर चलने के बाद वहॉं मौजूद सभी लोगों ने एक-एक कर इस ट्रिक्स को किया। विश्वरंजन ने बताया कि अंध विश्वास से जुड़ी घटनाओं को रोकने के लिए वृहद स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। इसमें समाज से जुड़े लोगों के साथ पुलिस अधिकारियों और चयनित स्वयंसेवी कार्यकर्ताओं की सहायता ली जा रही। गॉंव-गॉंव में कार्य करने के लिए तैयार किए जा रहे स्वयंसेवी कार्यकर्ताओं को चरणबद्ध तरीके से प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रशिक्षण के लिए देशभर के विशेषज्ञों की सहायता ली जा रही है। वाह...वाही छत्तीसगढ़ पुलिस की इस मुहिम की देशभर में सराहना हो रही है। विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन नागपुर के अध्यक्ष और वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता उमेश चौबे ने इस पहल को देश में अनूठा और अन्य राज्यों के लिए प्रेरणादायक बताया है। उन्होंने कहा कि इस मुहिम को शुरू करने वाले डीजीपी विश्वरंजन का समिति की तरफ से नागपुर में नागरिक अभिनंदन किया जाएगा। आगे आए दो और राज्य प्रदेश पुलिस की मुहिम में सहयोगी बनने यहॉं आए बिहार अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य भंते बुद्धप्रकाश और देशभर में अंधविश्वास आधारित सामाजिक अपराधों के खिलाफ मुहिम चलाने वाली संस्था अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने छत्तीसगढ पुलिस के इस अभियान की कार्ययोजना को बिहार एवं महाराष्ट्र सरकार व पुलिस द्वारा लागू कराने का विश्वास जताया है ।