हवा के झोंके होते हैं अक्सर लेकिन मेरी खिड़की धूप के साथ-साथ हवा का भी एक टुकड़ा लाती है
धन्यवाद संजीत भाई, इस आलेख को पढ़ने के बाद मैं स्वयं चाह रहा था कि इसे ब्लॉग पर लाया जाए. विज साहब नें बड़ी संवेदात्मक रूप में लिखा है इस आलेख को, उन्हें और आपको धन्यवाद.संभव हो तो इस आलेचा की टेक्ट कापी यहां पोस्ट करें.
... paper cutting open nahee ho rahaa hai ... padhanaa mushkil ho gayaa hai !!!
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धन्यवाद संजीत भाई, इस आलेख को पढ़ने के बाद मैं स्वयं चाह रहा था कि इसे ब्लॉग पर लाया जाए. विज साहब नें बड़ी संवेदात्मक रूप में लिखा है इस आलेख को, उन्हें और आपको धन्यवाद.
संभव हो तो इस आलेचा की टेक्ट कापी यहां पोस्ट करें.
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